साथिओ, समजिये,हमारे साथ क्या हुवा है? हमने नेशनल जे. सी. ए . बनाई. सभी केंद्रीय कर्मी एक मंच पर आ गए. हमने कई आवेदन दिए, मुलाकात की, मांगपत्र और स्ट्राइक नोटिस भी दी, धरने किये, रेलिया निकाली, पार्लियामेंट मार्च किया, हमें इस सरकार से उम्मीदें ही कम थी, इसलिए हम यह सब संघर्ष करते रहे. लेकिन, सरकार ने हमारे मांगपत्र, अभूतपूर्व एकता, स्ट्राइक नोटिस .. सभी प्रयासों की सोची- समजी अवगणना की है. सबकुछ नकार दिया. क्या इसे हम हमें दी गयी चुनौती नहीं समजेंगे?
. बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई बैठक में 7वें वेतन आयोग की सिफारिशों को स्वीकार कर लिया गया. इस कदम को लेकर केंद्र सरकार भले अपनी पीठ थपथपा रही हो, लेकिन केंद्रीय कर्मचारियों के लिए अब तक का यह सबसे खराब वेतन आयोग है।
न्यूनतम वेतन 26 हजार रुपये करने की मांग
की थी.सभी केंद्रीय विभागों के कर्मचारियों को मिलाकर बने नेशनल जॉइंट काउंसिल ऑफ एक्शन के संयोजक शिवगोपाल मिश्रा कहते हैं कि इस वेतन आयोग के खिलाफ हमने पहले ही आपत्ति जाहिर की थी. इसके बावजूद सरकार ने बिना बदलाव के ही इसे लागू कर दिया है. इस वेतन आयोग में न्यूनतम वेतन 18 हजार रुपये करने की सिफारिश की गई है. जबकि इसे 26 हजार करने की जरूरत है। वैसे
भी न्यूनतम वेतन इस पे कमीशन के पहले 17500 तो था ही. क्या दश साल के बाद एक पे कमीशन सिर्फ 500 रूपये का इजाफा करे वह अवमानना और मजाक नहीं है? 14फीसदी को 23 बताने के लिए भी जादूगरी की है. तकनीकी रूप से सिर्फ 14फीसदी बढ़ोतरी की गई है. सभी अलाउंस को जोड़ कर 23 फीसदी की जादूगरी की गई है.
हमें जो महंगाई भत्ता मिल रहा था वो सामान्य रूप से 8 % था. 14फिसदि बढ़ोतरी 2महगाई भथथे से भी कम है. क्या यह भी एक अवमानना और मजाक नहीं है?
6ठे वेतन आयोग ने 52 और 5वें वेतन आयोग में 40 फीसदी की बढ़ोतरी की गई थी. हमने नई पेंशन नीति को हटाकर पुरानी पेंशन नीति लागू करने और न्यूनतम वेतन 26 हजार करने की मांग की थी।
42 साल बाद सबसे बड़ी हड़ताल होगी.
हम इस वेतन आयोग की सिफारिश के खिलाफ आगामी 11 जुलाई से देशव्यापी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जा रहे हैं. इस हड़ताल में सभी केंद्रीय विभागों के सभी स्तर के 32 लाख से ज्यादा कर्मचारी भाग लेंगे. यह वर्ष 1974 के बाद पहली बार सबसे बड़ी हड़ताल होने जा रही है।
लोगों को परेशान करना नहीं चाहती यूनियंस। हमारी मांगें नहीं मानी गई तो देश की जनता की परेशानी के लिए सरकार खुद जिम्मेदार होगी. नेशनल जे. सी. ए . की तरफ से शिवगोपाल मिश्राजी ने कहा है की 1 जुलाई से पहले सरकार यदि बातचीत कर बीच का रास्ता निकालना चाहती है तो हम तैयार हैं. क्योंकि लोगों को हम भी परेशान नहीं करना चाहते हैं।
अगर सरकार हमारी कोई बात सुनना ही नही चाहती तो इसका मतलब यही होगा की हमें चुनौती दी जा रही है. इस चुनौती को हमें स्वीकारना है, और मजबूत होना है, चुनौती का मुंहतोड़ जवाब देना है. अगर हम यह नहीं कर शकते तो आनेवाली पीढ़ी को भी सदैव अन्याय सहना पड़ेगा. अभी नहीं, तो कभी नहीं. हमें न सिर्फ आर्थिक लाभो के लिए, लेकिन हमारे स्वाभिमान के लिए, अधिकारों के लिए, इतिहास के पन्नो पर ऐसे शोषण के सामने कभी न जुकनेवाली ताकत को सुवर्णाक्षारो में लिखने के लिए लड़ना होगा.
नेतागण हरेक स्थल पर जा नहीं शकते . क्या किसी को अन्याय और अवगणना की यह दास्तान समजाने बुझाने की जरुरत है? नेशनल जे. सी. ए . द्वारा जो भी आंदोलन के आदेश दिए जाय उसका हमें संपूर्ण पालन करना है. हरकोई अपना नेता ही है. यह हमारे खुद के लिए संघर्ष है. सीधी बात है,सब को साथ मिलकर लड़ना है. अब कोई प्रचार, प्रसार, पोस्टर्स, बड़ी मीटिंग्स की आवश्यकता ही नहीं है. एक ही बात, हमें एकजुट होकर लड़ना है. हमारे व्हाट्सप्प ग्रुप्स , फेसबुक और जो भी कम्युनिकेशन सिस्टम्स है, उसका भरपूर उपयोग करो. चुटकले, जोक्स, एंटरटेनिंग मैसेजिस और निरर्थक कमेंट्स को थोड़े दिन के लिए बंध करदो. सिर्फ हमारे ऐतिहासिक संघर्ष के लिए इन मीडिया में चर्चा करो. हरेक को स्वयं ही तैयार होना है, आगे आना है. इसी बात को लेकर सकारात्मक माहिती का आदान-प्रदान करो.
साथिओ, समजिये,हमारे साथ क्या हुवा है? हमने नेशनल जे. सी. ए . बनाई. सभी केंद्रीय कर्मी एक मंच पर आ गए. हमने कई आवेदन दिए, मुलाकात की, मांगपत्र और स्ट्राइक नोटिस भी दी, धरने किये, रेलिया निकाली, पार्लियामेंट मार्च किया, हमें इस सरकार से उम्मीदें ही कम थी, इसलिए हम यह सब संघर्ष करते रहे. लेकिन, सरकार ने हमारे मांगपत्र, अभूतपूर्व एकता, स्ट्राइक नोटिस .. सभी प्रयासों की सोची- समजी अवगणना की है. सबकुछ नकार दिया. क्या इसे हम हमें दी गयी चुनौती नहीं समजेंगे?
. बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई बैठक में 7वें वेतन आयोग की सिफारिशों को स्वीकार कर लिया गया. इस कदम को लेकर केंद्र सरकार भले अपनी पीठ थपथपा रही हो, लेकिन केंद्रीय कर्मचारियों के लिए अब तक का यह सबसे खराब वेतन आयोग है।
न्यूनतम वेतन 26 हजार रुपये करने की मांग
की थी.सभी केंद्रीय विभागों के कर्मचारियों को मिलाकर बने नेशनल जॉइंट काउंसिल ऑफ एक्शन के संयोजक शिवगोपाल मिश्रा कहते हैं कि इस वेतन आयोग के खिलाफ हमने पहले ही आपत्ति जाहिर की थी. इसके बावजूद सरकार ने बिना बदलाव के ही इसे लागू कर दिया है. इस वेतन आयोग में न्यूनतम वेतन 18 हजार रुपये करने की सिफारिश की गई है. जबकि इसे 26 हजार करने की जरूरत है। वैसे
भी न्यूनतम वेतन इस पे कमीशन के पहले 17500 तो था ही. क्या दश साल के बाद एक पे कमीशन सिर्फ 500 रूपये का इजाफा करे वह अवमानना और मजाक नहीं है? 4फीसदी को 23 बताने के लिए भी जादूगरी की है. तकनीकी रूप से सिर्फ 14 फीसदी बढ़ोतरी की गई है. सभी अलाउंस को जोड़ कर 23 फीसदी की जादूगरी की गई है.
हमें जो महंगाई भत्ता मिल रहा था वो सामान्य रूप से 8 % था. 14फिसदि बढ़ोतरी 2महगाई भथथे से भी कम है. क्या यह भी एक अवमानना और मजाक नहीं है?
6ठे वेतन आयोग ने 52 और 5वें वेतन आयोग में 40 फीसदी की बढ़ोतरी की गई थी. हमने नई पेंशन नीति को हटाकर पुरानी पेंशन नीति लागू करने और न्यूनतम वेतन 26 हजार करने की मांग की थी।
42 साल बाद सबसे बड़ी हड़ताल होगी.
हम इस वेतन आयोग की सिफारिश के खिलाफ आगामी 11 जुलाई से देशव्यापी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जा रहे हैं. इस हड़ताल में सभी केंद्रीय विभागों के सभी स्तर के 32 लाख से ज्यादा कर्मचारी भाग लेंगे. यह वर्ष 1974 के बाद पहली बार सबसे बड़ी हड़ताल होने जा रही है।
लोगों को परेशान करना नहीं चाहती यूनियंस। हमारी मांगें नहीं मानी गई तो देश की जनता की परेशानी के लिए सरकार खुद जिम्मेदार होगी. नेशनल जे. सी. ए . की तरफ से शिवगोपाल मिश्राजी ने कहा है की 1 जुलाई से पहले सरकार यदि बातचीत कर बीच का रास्ता निकालना चाहती है तो हम तैयार हैं. क्योंकि लोगों को हम भी परेशान नहीं करना चाहते हैं।
अगर सरकार हमारी कोई बात सुनना ही नही चाहती तो इसका मतलब यही होगा की हमें चुनौती दी जा रही है. इस चुनौती को हमें स्वीकारना है, और मजबूत होना है, चुनौती का मुंहतोड़ जवाब देना है. अगर हम यह नहीं कर शकते तो आनेवाली पीढ़ी को भी सदैव अन्याय सहना पड़ेगा. अभी नहीं, तो कभी नहीं. हमें न सिर्फ आर्थिक लाभो के लिए, लेकिन हमारे स्वाभिमान के लिए, अधिकारों के लिए, इतिहास के पन्नो पर ऐसे शोषण के सामने कभी न जुकनेवाली ताकत को सुवर्णाक्षारो में लिखने के लिए लड़ना होगा.
नेतागण हरेक स्थल पर जा नहीं शकते . क्या किसी को अन्याय और अवगणना की यह दास्तान समजाने बुझाने की जरुरत है? नेशनल जे. सी. ए . द्वारा जो भी आंदोलन के आदेश दिए जाय उसका हमें संपूर्ण पालन करना है. हरकोई अपना नेता ही है. यह हमारे खुद के लिए संघर्ष है. सीधी बात है,सब को साथ मिलकर लड़ना है. अब कोई प्रचार, प्रसार, पोस्टर्स, बड़ी मीटिंग्स की आवश्यकता ही नहीं है. एक ही बात, हमें एकजुट होकर लड़ना है. हमारे व्हाट्सप्प ग्रुप्स , फेसबुक और जो भी कम्युनिकेशन सिस्टम्स है, उसका भरपूर उपयोग करो. चुटकले, जोक्स, एंटरटेनिंग मैसेजिस और निरर्थक कमेंट्स को थोड़े दिन के लिए बंध करदो. सिर्फ हमारे ऐतिहासिक संघर्ष के लिए इन मीडिया में चर्चा करो. हरेक को स्वयं ही तैयार होना है, आगे आना है. इसी बात को लेकर सकारात्मक माहिती का आदान-प्रदान करो.
११ जुलाई से हमें अनिश्चित कालीन हड़ताल पर जाना ही है.
सभी डिपार्टमेंट के हरेक केंद्रीय कर्मचारी हर्ट हुवे है. वे जरूर लड़ेंगे.
हम नेशनल जे. सी. ए . के सभी नेतागण को इस परिस्थिति में आज ही संघर्ष का ब्युगल बजा ही देने का आह्वान करते है.
रश्मिन पुरोहित
सर्किल सेक्रेटरी
आल इंडिया पोस्टल एम्प्लाइज यूनियन ग्रुप 'सी'
गुजरात सर्किल
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