Thursday, June 30, 2016

All Divisional Secretaries must put 100% involvement and send brief details to Circle union regarding preparations for the Indefinite Strike from 6th July

Now is the time for All Divisional Secretaries and/or other  Leaders to come forward and confirm and make commitment that there will be 100% strike in their divisions right from beginning from 6am 11th July 2016. Get such commitments from each and every staff member connected on wall of one or other social media.

All may also give brief note regarding their preparations, circulars issued to members, divisional Executive committee meetings and staff meetings held and other relevant movements.

If any divisional secretary is not using android phone or using Internet, whatsapp, fb etc members should insist him to immediately start using it and in the meantime any one of other leaders should establish direct connection with Circle Secretary.

There will be no circulars from Circle union. Everything is available on our websites and other modes. No excuses. No laxity. Don't keep merely watching. Come forward and start to speak strongly to make our indefinite strike fully successful. 

११ जुलाई से हमें अनिश्चित कालीन हड़ताल पर जाना ही है.

साथिओ, समजिये,हमारे साथ क्या हुवा है? हमने नेशनल  जे. सी. ए . बनाई. सभी केंद्रीय कर्मी एक मंच  पर  आ  गए. हमने कई आवेदन दिए, मुलाकात की, मांगपत्र और स्ट्राइक नोटिस भी दी, धरने किये, रेलिया निकाली, पार्लियामेंट मार्च किया, हमें इस सरकार से उम्मीदें ही कम  थी, इसलिए हम यह सब संघर्ष करते रहे. लेकिन, सरकार ने हमारे मांगपत्र, अभूतपूर्व  एकता, स्ट्राइक नोटिस .. सभी प्रयासों  की  सोची- समजी अवगणना की  है. सबकुछ नकार दिया. क्या इसे हम हमें दी गयी चुनौती नहीं समजेंगे? 
          .                                                                                                                                                                                              बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई बैठक में 7वें वेतन आयोग की सिफारिशों को स्वीकार कर लिया गया. इस कदम को लेकर केंद्र सरकार भले अपनी पीठ थपथपा रही हो, लेकिन केंद्रीय कर्मचारियों के लिए अब तक का  यह सबसे खराब वेतन आयोग है।

न्यूनतम वेतन 26 हजार रुपये करने की मांग 
की  थी.सभी केंद्रीय विभागों के कर्मचारियों को मिलाकर बने नेशनल जॉइंट काउंसिल ऑफ एक्शन के संयोजक शिवगोपाल मिश्रा कहते हैं कि इस वेतन आयोग के खिलाफ हमने पहले ही आपत्ति जाहिर की थी. इसके बावजूद सरकार ने बिना बदलाव के ही इसे लागू कर दिया है. इस वेतन आयोग में न्यूनतम वेतन 18 हजार रुपये करने की सिफारिश की गई है. जबकि इसे 26 हजार करने की जरूरत है। वैसे 
भी न्यूनतम वेतन इस पे कमीशन  के  पहले  17500 तो  था  ही. क्या दश साल के  बाद  एक  पे  कमीशन   सिर्फ  500 रूपये का इजाफा  करे वह  अवमानना और मजाक  नहीं है? 14फीसदी  को 23 बताने के लिए भी जादूगरी की है. तकनीकी रूप से सिर्फ 14फीसदी बढ़ोतरी की गई है. सभी अलाउंस को जोड़ कर 23 फीसदी की जादूगरी की गई है. 

हमें जो महंगाई भत्ता मिल रहा था वो सामान्य रूप से 8 %  था. 14फिसदि बढ़ोतरी  2महगाई भथथे से  भी कम है. क्या यह  भी एक अवमानना और मजाक  नहीं है?

6ठे वेतन आयोग ने 52 और 5वें वेतन आयोग में 40 फीसदी की बढ़ोतरी की गई थी. हमने नई पेंशन नीति को हटाकर पुरानी पेंशन नीति लागू करने और न्यूनतम वेतन 26 हजार करने की मांग की थी।

42 साल बाद सबसे बड़ी हड़ताल होगी.
हम इस वेतन आयोग की सिफारिश के खिलाफ आगामी 11 जुलाई से देशव्यापी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जा रहे हैं. इस हड़ताल में सभी केंद्रीय विभागों के सभी स्तर के 32 लाख से ज्यादा कर्मचारी भाग लेंगे. यह वर्ष 1974 के बाद पहली बार सबसे बड़ी हड़ताल होने जा रही है।

लोगों को परेशान करना नहीं चाहती यूनियंस। हमारी मांगें नहीं मानी गई तो देश की जनता की परेशानी के लिए सरकार खुद जिम्मेदार होगी.  नेशनल  जे. सी. ए . की तरफ से शिवगोपाल मिश्राजी ने  कहा  है  की 1 जुलाई से पहले सरकार यदि बातचीत कर बीच का रास्ता निकालना चाहती है तो हम तैयार हैं. क्योंकि लोगों को हम भी परेशान नहीं करना चाहते हैं।

अगर सरकार हमारी कोई बात  सुनना ही  नही चाहती  तो  इसका मतलब यही  होगा  की हमें चुनौती  दी  जा  रही  है. इस चुनौती को हमें स्वीकारना है, और मजबूत होना है, चुनौती का मुंहतोड़ जवाब देना है. अगर हम यह नहीं कर शकते तो आनेवाली पीढ़ी को भी  सदैव अन्याय सहना पड़ेगा. अभी नहीं, तो कभी नहीं. हमें न सिर्फ आर्थिक लाभो के लिए, लेकिन हमारे स्वाभिमान के लिए, अधिकारों के लिए, इतिहास के पन्नो पर ऐसे शोषण के सामने कभी न जुकनेवाली ताकत को सुवर्णाक्षारो में लिखने के लिए लड़ना होगा. 

नेतागण हरेक स्थल पर जा नहीं शकते . क्या किसी को अन्याय और अवगणना की यह दास्तान समजाने बुझाने की जरुरत है? नेशनल  जे. सी. ए . द्वारा जो भी आंदोलन के आदेश दिए जाय उसका हमें संपूर्ण पालन करना है. हरकोई अपना नेता ही है. यह हमारे खुद के लिए संघर्ष है. सीधी बात  है,सब को साथ मिलकर लड़ना है. अब कोई प्रचार, प्रसार, पोस्टर्स, बड़ी  मीटिंग्स की आवश्यकता ही नहीं है. एक ही बात, हमें एकजुट  होकर लड़ना है. हमारे व्हाट्सप्प ग्रुप्स , फेसबुक और जो भी कम्युनिकेशन सिस्टम्स है, उसका भरपूर उपयोग करो. चुटकले, जोक्स, एंटरटेनिंग मैसेजिस और निरर्थक कमेंट्स को थोड़े दिन के लिए बंध करदो. सिर्फ हमारे ऐतिहासिक  संघर्ष के लिए इन मीडिया में चर्चा करो. हरेक को स्वयं ही तैयार होना है, आगे आना है. इसी बात को लेकर सकारात्मक माहिती का आदान-प्रदान करो.
साथिओ, समजिये,हमारे साथ क्या हुवा है? हमने नेशनल  जे. सी. ए . बनाई. सभी केंद्रीय कर्मी एक मंच  पर  आ  गए. हमने कई आवेदन दिए, मुलाकात की, मांगपत्र और स्ट्राइक नोटिस भी दी, धरने किये, रेलिया निकाली, पार्लियामेंट मार्च किया, हमें इस सरकार से उम्मीदें ही कम  थी, इसलिए हम यह सब संघर्ष करते रहे. लेकिन, सरकार ने हमारे मांगपत्र, अभूतपूर्व  एकता, स्ट्राइक नोटिस .. सभी प्रयासों  की  सोची- समजी अवगणना की  है. सबकुछ नकार दिया. क्या इसे हम हमें दी गयी चुनौती नहीं समजेंगे? 
          .                                                                                                                                                                                              बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई बैठक में 7वें वेतन आयोग की सिफारिशों को स्वीकार कर लिया गया. इस कदम को लेकर केंद्र सरकार भले अपनी पीठ थपथपा रही हो, लेकिन केंद्रीय कर्मचारियों के लिए अब तक का  यह सबसे खराब वेतन आयोग है।

न्यूनतम वेतन 26 हजार रुपये करने की मांग 
की  थी.सभी केंद्रीय विभागों के कर्मचारियों को मिलाकर बने नेशनल जॉइंट काउंसिल ऑफ एक्शन के संयोजक शिवगोपाल मिश्रा कहते हैं कि इस वेतन आयोग के खिलाफ हमने पहले ही आपत्ति जाहिर की थी. इसके बावजूद सरकार ने बिना बदलाव के ही इसे लागू कर दिया है. इस वेतन आयोग में न्यूनतम वेतन 18 हजार रुपये करने की सिफारिश की गई है. जबकि इसे 26 हजार करने की जरूरत है। वैसे 
भी न्यूनतम वेतन इस पे कमीशन  के  पहले  17500 तो  था  ही. क्या दश साल के  बाद  एक  पे  कमीशन   सिर्फ  500 रूपये का इजाफा  करे वह  अवमानना और मजाक  नहीं है? 4फीसदी  को 23 बताने के लिए भी जादूगरी की है. तकनीकी रूप से सिर्फ 14 फीसदी बढ़ोतरी की गई है. सभी अलाउंस को जोड़ कर 23 फीसदी की जादूगरी की गई है. 

हमें जो महंगाई भत्ता मिल रहा था वो सामान्य रूप से 8 %  था. 14फिसदि बढ़ोतरी  2महगाई भथथे से  भी कम है. क्या यह  भी एक अवमानना और मजाक  नहीं है?

6ठे वेतन आयोग ने 52 और 5वें वेतन आयोग में 40 फीसदी की बढ़ोतरी की गई थी. हमने नई पेंशन नीति को हटाकर पुरानी पेंशन नीति लागू करने और न्यूनतम वेतन 26 हजार करने की मांग की थी।

42 साल बाद सबसे बड़ी हड़ताल होगी.
हम इस वेतन आयोग की सिफारिश के खिलाफ आगामी 11 जुलाई से देशव्यापी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जा रहे हैं. इस हड़ताल में सभी केंद्रीय विभागों के सभी स्तर के 32 लाख से ज्यादा कर्मचारी भाग लेंगे. यह वर्ष 1974 के बाद पहली बार सबसे बड़ी हड़ताल होने जा रही है।

लोगों को परेशान करना नहीं चाहती यूनियंस। हमारी मांगें नहीं मानी गई तो देश की जनता की परेशानी के लिए सरकार खुद जिम्मेदार होगी.  नेशनल  जे. सी. ए . की तरफ से शिवगोपाल मिश्राजी ने  कहा  है  की 1 जुलाई से पहले सरकार यदि बातचीत कर बीच का रास्ता निकालना चाहती है तो हम तैयार हैं. क्योंकि लोगों को हम भी परेशान नहीं करना चाहते हैं।

अगर सरकार हमारी कोई बात  सुनना ही  नही चाहती  तो  इसका मतलब यही  होगा  की हमें चुनौती  दी  जा  रही  है. इस चुनौती को हमें स्वीकारना है, और मजबूत होना है, चुनौती का मुंहतोड़ जवाब देना है. अगर हम यह नहीं कर शकते तो आनेवाली पीढ़ी को भी  सदैव अन्याय सहना पड़ेगा. अभी नहीं, तो कभी नहीं. हमें न सिर्फ आर्थिक लाभो के लिए, लेकिन हमारे स्वाभिमान के लिए, अधिकारों के लिए, इतिहास के पन्नो पर ऐसे शोषण के सामने कभी न जुकनेवाली ताकत को सुवर्णाक्षारो में लिखने के लिए लड़ना होगा. 

नेतागण हरेक स्थल पर जा नहीं शकते . क्या किसी को अन्याय और अवगणना की यह दास्तान समजाने बुझाने की जरुरत है? नेशनल  जे. सी. ए . द्वारा जो भी आंदोलन के आदेश दिए जाय उसका हमें संपूर्ण पालन करना है. हरकोई अपना नेता ही है. यह हमारे खुद के लिए संघर्ष है. सीधी बात  है,सब को साथ मिलकर लड़ना है. अब कोई प्रचार, प्रसार, पोस्टर्स, बड़ी  मीटिंग्स की आवश्यकता ही नहीं है. एक ही बात, हमें एकजुट  होकर लड़ना है. हमारे व्हाट्सप्प ग्रुप्स , फेसबुक और जो भी कम्युनिकेशन सिस्टम्स है, उसका भरपूर उपयोग करो. चुटकले, जोक्स, एंटरटेनिंग मैसेजिस और निरर्थक कमेंट्स को थोड़े दिन के लिए बंध करदो. सिर्फ हमारे ऐतिहासिक  संघर्ष के लिए इन मीडिया में चर्चा करो. हरेक को स्वयं ही तैयार होना है, आगे आना है. इसी बात को लेकर सकारात्मक माहिती का आदान-प्रदान करो.

११ जुलाई से हमें अनिश्चित कालीन हड़ताल पर जाना ही है. 

सभी डिपार्टमेंट के हरेक केंद्रीय कर्मचारी हर्ट हुवे है. वे जरूर लड़ेंगे. 

हम नेशनल  जे. सी. ए . के सभी नेतागण को इस परिस्थिति में आज ही संघर्ष का ब्युगल बजा ही देने का आह्वान करते है.

रश्मिन पुरोहित 
सर्किल सेक्रेटरी 
आल इंडिया पोस्टल एम्प्लाइज यूनियन ग्रुप 'सी'
गुजरात सर्किल


GO AHEAD WITH INTENSIVE PREPERATIONS FOR 11TH JULY 2016 INDEFINITE STRIKE - NJCA


NJCA

National Joint Council Of Actoin

4, State Entry Road, New Delhi – 110055


No.NJCA/2016                                                                                                  Dated: June 29, 2016

To,

All Constituents of NJCA,

Dear Comrades!

Sub: Cabinet approval on the VII CPC report

As all of you are aware that the Union Cabinet has accepted the report of the VII CPC today.

It has been noticed that there is no improvement in Minimum Wage and Multiplying Factor as well, which was our hard pressed demand.
 Instead, wages, as recommended by the VII CPC have been accepted as it is, which is highly disappointing.

Only two committees have been formed, one to take care of the
 allowances and another for National Pension Scheme, which will submit their reports within four months time.

It is quite unfortunate that, our demand for improvement in the report of the VII CPC has not been considered by the government.

Therefore, it would be quite appropriate that, we should go ahead with our preparations for “Indefinite Strike”, slated to be commended from
 06:00 hrs. on 11th July, 2016.

You are also advised to intensify the mass mobilization and strong protests on all the offices and establishments be organized tomorrow,
 i.e. on 30.06.2016.


With fraternal greetings!

Comradely yours,


(Shiva Gopal Mishra)

Convener
नई दिल्ली: केंद्र सरकार द्वारा घोषित 7वें वेतन आयोग की वृद्धि को 'एकतरफा एवं अपर्याप्त' करार देते हुए कांग्रेस ने बुधवार को कहा कि पिछले सात दशकों में 'यह सबसे कम वेतन वृद्धि' है।

कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाल ने कहा, 'छठे वेतन आयोग ने वेतन और भत्तों में 20 फीसदी वृद्धि की सिफारिश की थी, लेकिन तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने उसे बढ़ाकर 40 फीसदी कर दिया था। सातवें वेतन आयोग ने 14.29 फीसदी वेतन बढ़ाने की सिफारिश की है और मोदी सरकार ने महज 15 फीसदी बढ़ाया है।' उन्होंने कहा कि न्यूनतम और अधिकतम वेतन वृद्धि का अनुपात बढ़ गया है।

कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा, 'उदाहरण के तौर पर सबसे अधिक वेतन वृद्धि 90 हजार से 2.50 लाख की गई है, लेकिन न्यूनतम वेतन को सात हजार से बढ़ाकर केवल 18 हजार रुपये किया गया है। यह अनुपात 1:14 है, जबकि पहले यह 1:12 का था। स्वाभाविक है कि कम वेतन पाने वाले कर्मचारी को सबसे अधिक तकलीफ होती है।'

सुरजेवाला ने कहा कि मूल वेतन पर वेतन एवं भत्तों की यह बढ़ोतरी महज 15 फीसदी है, न कि 23.5 फीसदी जैसा कि सरकार गलत ढंग से दावा कर रही है।
नई दिल्ली: केंद्र सरकार द्वारा घोषित 7वें वेतन आयोग की वृद्धि को 'एकतरफा एवं अपर्याप्त' करार देते हुए कांग्रेस ने बुधवार को कहा कि पिछले सात दशकों में 'यह सबसे कम वेतन वृद्धि' है।

कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाल ने कहा, 'छठे वेतन आयोग ने वेतन और भत्तों में 20 फीसदी वृद्धि की सिफारिश की थी, लेकिन तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने उसे बढ़ाकर 40 फीसदी कर दिया था। सातवें वेतन आयोग ने 14.29 फीसदी वेतन बढ़ाने की सिफारिश की है और मोदी सरकार ने महज 15 फीसदी बढ़ाया है।' उन्होंने कहा कि न्यूनतम और अधिकतम वेतन वृद्धि का अनुपात बढ़ गया है।

कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा, 'उदाहरण के तौर पर सबसे अधिक वेतन वृद्धि 90 हजार से 2.50 लाख की गई है, लेकिन न्यूनतम वेतन को सात हजार से बढ़ाकर केवल 18 हजार रुपये किया गया है। यह अनुपात 1:14 है, जबकि पहले यह 1:12 का था। स्वाभाविक है कि कम वेतन पाने वाले कर्मचारी को सबसे अधिक तकलीफ होती है।'

सुरजेवाला ने कहा कि मूल वेतन पर वेतन एवं भत्तों की यह बढ़ोतरी महज 15 फीसदी है, न कि 23.5 फीसदी जैसा कि सरकार गलत ढंग से दावा कर रही है।